प्रेम और सत्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं....मोहनदास कर्मचंद गांधी...........मुझे मित्रता की परिभाषा व्यक्त करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैंने ऐसा मित्र पाया है जो मेरी ख़ामोशी को समझता है

Sunday, October 22, 2017

सबको खूब हँसाते : दीनदयाल

सबको खूब हँसाते : दीनदयाल

दीनदयाल प्रसिद्ध हैं बहुत, लिखा बाल साहित्य।
किताबें कई लिखी हैं, अब भी लिखते नित्य।।

कवि सम्मेलन में जाते, सबको खूब हँसाते।
कविताएं सुनकर श्रोता, लोटपोट हो जाते।।

‘डुक’ के हास्य से होता, सम्मोहित हर श्रोता।
नाटकों का अभिनय भी, विद्यालयों में होता।।

बालक ‘जगिया’ पात्र तुम्हारा, है भोला पर प्यारा।
आम घरों के जीवन का, इसमें है चित्रण सारा।।

राष्ट्रपति के सम्मुख लेकर, ‘ड्रीम्स’ गए थे अपने।
भावी भारत के हैं इसमें, बाल मनों के सपने।।

पुरस्कार-सम्मान मिले, भारत के हर कोने से।
समारोह-सम्मेलन शोभित तव शामिल होने से।।

विनय यही ईश्वर से तुम, बस यंू ही लिखते जाओ।
दीर्घायु अरु स्वस्थ रहो, सम्मान बहुत से पाओ।।

‘टाबर टोल़ी’ पाक्षिक इनका बच्चों को अति भाये।
स्तंभ बड़े रोचक हैं जिसके, सबका ज्ञान बढ़ाये।।

-डॉ.विद्यासागर शर्मा,
पूर्व सरस्वती सभा सदस्य, राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर। पूर्व कार्य समिति सदस्य, राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर।


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